चीन ने दिखाई औकात, पैंगौंग लेक पर दावा दोहराया

नई दिल्ली। चीन ने गुरुवार को पैंगौंग लेक इलाके में अपने दावे को फिर से दोहराया है, जहां चीनी सेना भारतीय सीमा में 8 किमी अंदर तक घुस आई थी। भारत में चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने गुरुवार को कहा कि चीनी सेना पैंगौंग झील के उत्तरी किनारे पर पारंपरिक सीमा रेखा के मुताबिक अपने क्षेत्र में तैनात है।

China shows its position, reiterates claim on Pangong Lake

New Delhi. China on Thursday reiterated its claim in the Pangong Lake area, where Chinese forces had penetrated 8 km inside the Indian border. Chinese Ambassador to India Sun Weidong said on Thursday that the Chinese army is stationed in its territory on the northern shore of Pangong Lake according to the traditional border line.

चीनी राजदूत ने इस बात को खारिज कर दिया कि चीन ने पैंगौंग झील तक अपने क्षेत्रीय दावे का विस्तार किया है।

चीनी राजदूत का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर की पांचवें दौर की बातचीत होने वाली है।

इंस्टिट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के वेबिनार में चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने कहा कि पैंगौंग की उत्तरी किनारे पर चीन की पारंपरिक सीमा रेखा एलएसी के अनुरूप है। ऐसा कुछ भी नहीं है कि चीन ने अपने क्षेत्रीय दावे का विस्तार किया है।

चीन उम्मीद करता है कि भारतीय सेना महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेगी और अवैध तरीके से एलएसी पार कर चीन के इलाके में प्रवेश करने से बचेगी।

चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों पक्षों की साझा कोशिशों से सीमा पर अधिकतर इलाकों से सेनाएं पीछे हटी हैं और तनाव घट रहा है।

हालांकि, चीनी राजदूत के बयान के बाद भारत ने कहा कि इस मामले में कुछ प्रगति हुई है लेकिन सैन्य टुकड़ियों के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस दिशा में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन विवादित इलाके में सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच जल्द सीनियर कमांडर के स्तर की बैठक होगी।

उन्होंने कहा, सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता कायम करना हमारे द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष इस दिशा में गंभीरता से काम करेगा।

चीन अब भी पैंगौंग झील से अपनी सेना को पीछे हटाने को लेकर अनिच्छुक दिख रहा है।

भारत और चीन के बीच कॉर्प्स कमांडर की अगली वार्ता इसी पर केंद्रित हो सकती है।

अब तक दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी हैं।

चीनी राजदूत ने अपने भाषण में कहा कि चीन भारत के लिए रणनीतिक खतरा नहीं है।

चीनी राजदूत ने भारत-चीन संबंधों को पटरी से ना उतारने को लेकर आगाह भी किया।

चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने ट्विटर पर लिखा कि चीन ऐसे संबंधों की वकालत करता है, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो और किसी का नुकसान ना हो। हमारी अर्थव्यवस्था एक-दूसरे की पूरक और एक-दूसरे पर निर्भर है। इसे जबरदस्ती कमजोर करना ट्रेंड के विपरीत जाना है। इससे दोनों को सिर्फ नुकसान ही होना है।

चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने कहा कि चीन कोई विस्तारवादी ताकत या भारत के लिए रणनीतिक खतरा नहीं है। हम कभी भी आक्रामक नहीं रहे और ना ही किसी देश की कीमत पर अपना विकास किया हैं।

वेईडोंग ने कहा कि भारत और चीन के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लंबे इतिहास को खारिज करना संकीर्ण सोच को दिखाता है। हजारों साल से दोस्त रहे देश को कुछ अस्थायी मतभेदों और मुश्किलों की वजह से विरोधी और रणनीतिक खतरा बताना पूरी तरह से गलत है।

वहीं, ताइवान, शिनजियांग, हॉन्ग कॉन्ग और साउथ चाइना सी के मुद्दों पर भारतीयों की चीन विरोधी भावनाओं को लेकर वेइडोंग ने सतर्क किया और कहा कि भारत सरकार इन पर अपनी स्थिति को संतुलित रखे।

वेइडोंग ने कहा कि ये मुझे परेशान करता है। ताइवान, शिनजियांग के मुद्दे चीन के आंतरिक मसले हैं और इनसे चीन की संप्रभुता और सुरक्षा जुड़ी है। जहां चीन किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता है वहीं अपने मामलों में किसी बाहरी दखल की इजाजत नहीं देता है।

गलवान घाटी में चीनी सेना के एलएसी क्रॉस करने के सवाल पर राजदूत ने कहा कि गलवान घटना में सही-गलत पूरी तरह से स्पष्ट है। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि इसमें चीन जिम्मेदार नहीं है। अप्रैल महीने से ही भारतीय सेनाएं सड़क बना रही थीं और गलवान घाटी के नजदीक पुल और मूलभूत ढांचा खड़ा कर रही थीं। इसकी वजह से चीन ने सैन्य और कूटनीतिक चौनलों के जरिए बातचीत की। इसके बाद, भारतीय पक्ष ने अपने लोगों और इन्फ्रास्ट्रक्चर को हटाने पर सहमति दी थी। 6 जून को कॉर्प्स कमांडरों के बीच बैठक भी हुई थी।

चीनी राजदूत ने आरोप लगाया कि भारत ने कहा था कि वे गलवान घाटी की तरफ पेट्रोलिंग पर नहीं जाएंगे और वहां किसी तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं खड़ा करेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से 15 जून को भारतीय सैनिकों ने इस कॉर्प्स कमांडर मीटिंग में हुई सहमति का उल्लंघन कर दिया। वे फिर से एलएसी के पार चले गए। यहां तक कि उन्होंने चीनी सैनिकों पर हमला किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच बेहद हिंसक झड़प हुई और कई जवान मारे गए। चीन के घायल और मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा कि आंकड़ों से कोई मदद नहीं मिलेगी।

जब भी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद खड़ा होता है तो सीमा रेखा के स्पष्ट निर्धारण करने की मांग उठती है। हालांकि, भारत और चीन की सीमा रेखा (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) को स्पष्ट करने में देरी को लेकर सन ने कहा कि एलएसी को स्पष्ट करने का मूल मकसद है सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता कायम करना, लेकिन अगर बातचीत के दौरान कोई एक पक्ष अपनी समझ के मुताबिक एलएसी का सीमांकन करता है, तो इससे नए विवाद खड़े हो सकते हैं। ये एलएसी को स्पष्ट करने के मूल मकसद को ही खत्म कर देगा।

चीनी राजदूत ने कहा, हमें उम्मीद है कि भारत और चीन एक ही दिशा में काम कर सकेंगे और राजनीतिक दायरे और मार्गदर्शक सिद्धांतों के मुताबिक सीमा विवाद को सुलझाने की तरफ आगे बढ़ेंगे।

 

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